Tuesday, July 15, 2008

जवानी दीवानी

मुझे मिली थी वोह शौपिंग बाज़ार में
खडी थी वोह मेरे आगे इक कतार में
जालिम थी उसकी बॉडी और खूब थी उसकी उठान
लगती थी वोह कोई २५ साल की जवान
मम्मे थे उसके बड़े बड़े
होंठ थे उसके रस से भरे
गाल थे उसके गुलाबी
आंखें थी उसकी शराबी

गर्दन उसकी पतली थी
कमरिया उसकी मिसरी की डाली थी
कूल्हे थे उसके हमवार
पहनी होई थी उसने कमीज़ शलवार
चलती थी मेरे दिल पैर इक तलवार
देख कर उसका जोबन
खड़ा हो गया मेरा लौड़ा

वोह थी मेरे आगे आगे
में था उसके पीछे
पीछे से किसी ने धक्का जो लगाया
मेरा लंड उसके कूल्हे से टकराया
रश था बहुत हो गया और ज़्यादा
हम सब थे कतार में प् पियादा

मेंने पहना हुआ था पजामा
लंड का होने लगा चूतरों से मुकलमा
उसने जब महसूस किया मेरे लंड को
गुस्से से देखा मोड़ के अपनी गर्दन को
मुझ को शर्म आई पर मजबूर था
लंड अपनी मस्ती में मखमूर था

अब उस ने कुल्हा हिलाया दूर हट जाने के लिए
रास्ता मिल गया लंड को उसके चूतरों में जाने के लिए
मज़ा तू आ रहा था साथ शर्म भी आती थी
कोशिश के बावजूद वोह आगे से हट नही पाती थी
पहले तो उस ने आगे पीछे होने की कोशिश की
फिर शायद उसकी छूट ने लंड के साथ मिलकर शज़िश की

अब उसने इधर उधर देखा कही कोई देख तो नही रहा
देख रही थी वोह इधर उधर ध्यान उसका और कही था
किसी का ध्यान हमारी तरफ नही था उसने देखा मेरी तरफ़ मुड़ के
हौले से मुस्कराई और खड़ी हो गई मेरी साथ और भी जुड़ के
लग कर उसके चूतरों से लंड को होने लगा एहसास
अब वोह वहां टांगों में उसकी करने लगा मसाज

दोस्तों यह हे एक लम्बी सी कहानी अगर हो पसंद
तू मुझ को करो आगाह के में आगे करूँ कलमबंद


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