Friday, July 11, 2008

Lund Poem

लंड तुम खड़े रहो,
चुत मैं पड़े रहो।
लंड जब प्रचंड हो,
तो चुत खंड-खंड हो.
लंड तुम खड़े चलो,
लंड तुम बढ़े चलो.
सामने दरार हो,
गांड का पहाड़ हो.
लंड तुम रुको नही,
लंड तुम झुको नही
चुत चरमरा उठे,
झांट कसमसा उठे.
अग्नि सा धड़क धड़क ,
चुत में सरक -सरक .
जब तक चुत फटे नही,
तब तक लंड हटे नही.
चुत को तू फाड़ दे,
उसके अंदर झाड़ दे.
लंड तुम महान हो,
सर्व शक्तिमान हो.
जय
लंड.

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